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यूसिल में दवाइयों के अभाव में कभी भी भूतपूर्व कर्मचारियों की जा सकती है जान, टेंडर खत्म होने से शुगर समेत कई जीवन रक्षक दवाइयां भी अस्पताल में खत्म Former employees can die anytime due to lack of medicines in USIL

जादूगोड़ा : यूसिल अपनी पुरानी   गौरव आहिस्ता _ आहिस्ता खोता जा है। जिसका जीवंत उदाहरण यूसिल अस्पताल में  बृहस्पतिवार को देखने को मिला। यहां बीते एक पखवाड़े से दवा  आपूर्ति का टेंडर खत्म है। जिसकी वजह से अस्पताल आने वाले मरीजों  शुगर व ब्लड समेत अन्य कई जीवन रक्षक दवाइयां नहीं मिल रही है व लोग बिना दवा के ही यूसिल अस्पताल से लौट रहे है।यह सिलसिला बीते एक महीने से चल रहा है।जिसकी सुधि लेने वाला न तो यूसिल के अध्यक्ष सह प्रबंध निर्देशक डॉक्टर संतोष सतपति  व न ही कोई वरीय अधिकारी। इस बाबत अस्पताल प्रबंधन  कहती है कि दवाइयां नहीं होने से प्रतिदिन 200 ओ पी ड़ी मे आने वाले मरीजों की संख्या  काफी घटी है। इक्के_ दुक्के लोग ही अस्पताल  पहुंच रहे है।पूरा अस्पताल परिसर में दवा की कमी से सन्नाटा पसरा हुआ है। आलम यह है कि डॉक्टर तो है दवा नहीं होने से डॉक्टर बैठ कर कम्पनी का तनख्वाह ले रहे है।वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर कुछ दवाइयां कंपनी अपने स्तर  मरीजों को दे रही है वह नकाफी है। फिलहाल ज्यादातर दवाइयों खरीद कर यूसिल कर्मियों को पड़ रहा है जबकि कंपनी के भूत पूर्व कर्मी को बिना दवा के ही लौट रहे है।अस्पताल प्रबंधन की माने तो यूसिल में दवा आपूर्ति  टेंडर का फाइल यूसिल बोर्ड के समक्ष  बीते 20 मई को रखी गई थी, दस्तावेज में कमी को लेकर फाइल होल्ड पर रखी गई है। दो दिन पूर्व में कंपनी प्रबंधन की ओर से यूसिल बोर्ड द्वारा मांगी गई रिपोर्ट  भेजी गई है जहां से मंजूरी होने  के पश्चात तक 20_ 25 दिन ओर लगेगे। फिलहाल मरीजों को ओर  बिना दवा के ही दिन  गुजारने होगे। खरीद कर लोगों को खानी पड़ रही है।फिलहाल यूसिल कर्मी बाहर से दावा खरीद कर  बिल भरते है जिसे भुगतान होने में पांच _ महीने लगते है जबकि भूतपूर्व कर्मचारियों को तो दवा के लाले पड़ गए है। मुश्किल से एकाध दवाइयां मिलती है। दवा के अभाव में अस्पताल कर्मी आराम फरमा रहे है व  फुर्सत में गप्पे लड़ाते अस्पताल में मिल जायेगे।
 
दवा के अभाव में सुना पड़ा यूसिल अस्पताल में पसरा सन्नाटा, डॉक्टर बैठ कर ले रहे है वेतन, सुधि लेने वाला कोई नहीं

जादूगोड़ा ; बीते 15 दिनों से यूसिल अस्पताल में दवाइयां खत्म हो जाने से  अस्पताल परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है।  डॉक्टर चेंबर में बैठ कर तनख्याह ले थे है। जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है।  जिसको लेकर भूतपूर्व यूसिलकर्मी   सवाल उठा रहे है कि यूसिल दूसरों की एम्बुलेंस बाट  कर वाह _ वाही लूट रही है कंपनी के *अस्पताल में  दवाइयां नदारत है। ऐसी समाजसेवा का क्या मतलब
जबकि  यूसिल के भूतपूर्व  कंपनी कर्मी दवा की अभाव में  इधर-उधर भटक रहे है। बहरहाल देखना यह है कि टेंडर की आड में मरीजों को दवा से वंचित रखना कितना जायज है, जिस पर कब तक विराम लगेगा। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन कंपनी के इस रवैये से  उसकी वर्षों की साख पर कम्पनी के अधिकारी ही बट्टा लगा रहे है।


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