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यूसिल कॉलोनी नरवापहाड़ में सादगी से मनाया गया आलचिकी के जनक पं0 रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती The 120th birth anniversary of the father of Alchiki, Pt. Raghunath Murmu was celebrated with simplicity in USIL Colony Narwapahar

जादूगोड़ा : जाहेरगाढ़ ओल ईतुन आसड़ा की ओर से यूसिल कॉलोनी नरवा पहाड़ में ओलचिकि के जनक पं0 रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती सादगी से मनाया गया। इस मौके पर  सीटीसी में कार्यक्रम आयोजित की गई जहां उनकी प्रतिमा पर पूजा- अर्चना कर व माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर माझी बाबा वीरेन टुडू ने कहा कि उनका जन्म ओडिशा के मयुरभंज जिला अंतर्गत डांडपुस के डाहारडी गांव में सन 1905 में बैशाख माह के पुर्णिमा के दिन हुआ था। उन्होंने ओलचिकि का आविष्कार सन 1925 में किया था। इस दौरान उन्होंने झारखंड, उड़िसा, बिहार, बंगाल आदि घूम-घूमकर ओलचिकि का शोध किया और ओलचिकी भाषा को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। उन्होंने कहा कि ओलचिकी प्रकृति से जुड़ा हुआ है जिसमें सभी अक्षर कुछ न कुछ प्रकृति को दर्शाता है। इस समारोह को समाजविद दुर्गा प्रसाद मुर्मू ने भी संबंधित किया। कहा कि पं0 रघुनाथ मुर्मू उनके मार्ग दर्शक रहे हैं। इस दौरान उन्होंने पं0 रघुनाथ मुर्मू की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज ओलचिकी की पढ़ाई नर्सरी से स्नातक तक करने की जरूरत है। उन्होंने अफसोस जताया कि ओलचिकी भाषा के 100 साल पुरा हो चुका है, लेकिन अभी भी घर-घर बोली जाने वाली ओलचिकी अपने लक्ष्य से पीछे हैं, जिसे हर हाल में आगे पहुंचाना मुख्य उद्देश्य है। इस मौके पर शिक्षिका गुरुवारी सरदार, रेशमा महाली, फुदान मार्डी, दिलीप कुमार मुर्मू, मानसिंह किस्कू, सागर टुडू, लक्ष्मी टुडू  सुनीता मुर्मू, चम्पा मुर्मू, माया मुर्मू, सोनिया माझी, सीता बेसरा, अनिता किसकु, शेफाली मार्डी, संजु सोरेन, श्यामली माझी, हिरानी किस्कु समेत भारी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया।


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