जादूगोड़ा : बीते 30 सालो से मृतक का दाह संस्कार का जिम्मा उठा रखा है सेवानिवृत्त यूसीलकर्मी रामजन्म राम। अब तक उसने 1200 से अधिक शव का अंतिम दाह संस्कार कर जिले में बनाई है नई मिसाल।जादूगोड़ा के पहले ऐसे व्यक्ति है पूर्व यूसीलकर्मी राम जन्म राम जो किसी की मौत की खबर सुन जादूगोड़ा मुक्तिधाम पहुंच जाते व उसके धर्म के अनुसार शव का पंचतत्व में विलीन होने के बाद ही अंतिम संस्कार कर घर लौटते हैं। जबकि मृतक से उनका रिश्ता दूर-दूर तक नहीं होता, सिर्फ इंसानियत का रिश्ता समझ कर शव की अंतिम यात्रा में पहुंच कर शव का अंतेष्टि में पहुंच जाते व पूरी लगन से शव का दाह संस्कार कर उसे पूरा जलने तक इंतजार करते हैं। जिसके पीछे उसका कोई स्वार्थ नही होता। उनके मन में दूसरो के प्रति इंसानियत का रिश्ता ही उन्हें मुक्तिधाम तक खींच कर ले आता है। उनके इस जुनून ने जादूगोड़ा में नई मिसाल कायम की व दूसरो के लिए वे प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं। इस पूर्व कंपनीकर्मी की पहचान तब बनी जब कोरोना काल में मृतक के अपने रिश्तेदार शव जलाने से पीछे हट जाते थे, उस कठिन दौर मे भी लोगो की सेवा में वे जुटे रहे और 500 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कर अपनी इंसानियत की जिम्मेदारी निभाई और जादूगोड़ा में एक नई मिसाल कायम कर दूसरो के लिए मिसाल बन गए।
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