गम्हरिया : टाटा स्टील की वादाखिलाफी से आक्रोशित सैकड़ों विस्थापित-प्रभावित एवं आदिवासी-मूलवासियों ने रविवार को टीजीएस गेट से सटे सरना उमूल परिसर में प्रदर्शन किया। विस्थापित-प्रभावित संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने टाटा स्टील की ओर से नियोजन के लिए जारी नोटिफिकेशन का जमकर विरोध करते हुए स्थानीय विस्थापितों के साथ घोर अन्याय करने का आरोप लगाते हुए आगामी 5 जनवरी को 25 हजार ग्रामीण पारंपरिक हथियारों के साथ टीजीएस गेट जाम करने की चेतावनी दी। इसके साथ ही टाटा स्टील की कंपनियों में आर्थिक नाकेबंदी भी की जायेगी। मोर्चा के संयोजक छाया कांत गोराई ने बताया कि टाटा स्टील प्रबंधन को मांगों को लेकर कई बार स्मार पत्र दिया गया। पिछले 18 मार्च को भी एक ज्ञापन सौंपा गया था, किंतु उस पर भी आश्वासन के सिवा आज तक कुछ हासिल नहीं हुआ। अब सब्र का बांध टूट गया है। टाटा स्टील के साथ विस्थापित-प्रभावित सौ साल का हिसाब मांगते हुए आर पार की लड़ाई के लिए तैयार है। टाटा स्टील के खिलाफ बैनर, पोस्टर से प्रचार प्रसार करते हुए कल से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जीआयेगा।
नियोजन के नोटिफिकेशन में अपने लोगों की फिक्र
गोराई ने कहा कि टाटा स्टील ने नियोजन के लिए जो नोटिफिकेशन निकाला है, उसमें कर्मचारी पुत्रों, आश्रितों एवं डिप्लोमा होल्डर की बहाली में स्थानीय विस्थापित प्रभावितों का कोई जिक्र नहीं किया हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि टाटा स्टील को हमारी कोई फिक्र नहीं है। बताया कि राज्य सरकार ने निजी कंपनी में स्थानीय लोगों का 75 प्रतिशत नियोजन अनिवार्य करते हुए कानून बना दिया है, किंतु टाटा स्टील प्रबंधन के लिए यह कानून कोई मायने नहीं रखता है। कंपनी प्रबंधन कानून को ताक पर रखकर अपनी सभी कंपनियों में बाहरी लोगों की बहाली कर रही है।
6 सौ एकड़ जमीन लेकर कर दिया विस्थापित
गोराई ने कहा कि इस क्षेत्र के सैकड़ों आदिवासी- मूलवासियों को नौकरी, पुनर्वास, मुआवजा आदि का सब्जबाग दिखाकर उनकी खेतिहर 6 सौ एकड़ जमीन लेकर उन्हें बेघर कर दिया। न्याय की आस में सभी आज तक दर-दर की ठोकर खाने पर मजबूर हैं। टाटा स्टील प्रबंधन ने करीब एक से डेढ़ प्रतिशत ही स्थानीय विस्थापित-मूलवासियों को नियोजन प्रदान किया, जबकि शत-प्रतिशत बाहरी लोगों को नियोजन प्रदान कर स्थानीय लोगों के साथ घोर अन्याय किया है। कहा कि 6 सौ एकड़ में मात्र 20 से 30 प्रतिशत ही उपयोग में है, जबकि बांकी पूरी जमीन खाली पड़ा है।
जमीन गंवाकर मौत के करीब जा रहे विस्थापित-प्रभावित
गोराई ने कहा कि टाटा स्टील के प्रदूषण के कारण इस क्षेत्र के छोटा गम्हरिया, बड़ा गम्हरिया, कालिकापुर, बाड़ूबाद, सिदादीह, दुग्धा, सालडीह, उपरबेड़ा, झुरकुली समेत आसपास के दर्जनों गांवों का अस्तित्व मिटने के कगार पर है। जबकि यहां की खेतिहर जमीन बंजर होती जा रही है। सीतारामपुर डैम में प्रदूषण से पेयजल पर संकट उपस्थित हो गया है। यहां के ग्रामीणों में सांस, चर्म समेत विभिन्न रोग फैलने से पलायन पर विवश हैं। टाटा स्टील सीएसआर के तहत आसपास के गांवों में कोई कार्यक्रम नहीं करती है।
अतिक्रमण से लोग परेशान
कहा कि गम्हरिया- झुरकूली मार्ग पर जहां कामगारों के वाहनों को खड़ा कर सड़क अतिक्रमण कर लिया है, वहीं टीजीएस के सामने पीडब्लूडी की जमीन का अतिक्रमण कर पार्किंग बना दिया है। इससे लोगों को काफी परेशानी होती है।
जूूम वल्लभ के 193 कामगारों को नहीं मिला नियोजन
कहा कि टाटा स्टील ने जूम वल्लभ का अधिग्रहण किया, किंतु उसके 193 कामगारों को अभी तक नियोजन में शामिल नहीं किया गया। जबकि इसकी सूची पहले ही प्रबंधन को देकर नियोजन की मांग की गई थी। कहा कि कंपनी प्रबंध यहां के लोगों को मूलभूत सुविधा से वंचित कर कारखाना चला रही है। जिसे हरगिज बर्दास्त नहीं किया जायेगा।
ये थे उपस्थित
इस अवसर पर मुखिया मोहन बास्के, अविनाश सोरेन, बीटी दास, शंकर मुखी, दीपक नायक समेत काफी संख्या में मोर्चा के सदस्य उपस्थित थे।
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