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पत्थर को तराश कर मूर्तियां बनाने वाले अब तलाश रहे अपना रोजगार, सरकार से नहीं मिलती कोई मदद Those who carve stone and make statues are now looking for employment



सरायकेला : सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत ईचागढ़ प्रखंड कार्यालय से महज पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित कुड़कतुपा गांव में सैकड़ों परिवार अपने हाथों के कला से पत्थर को काट कर विभिन्न प्रकार की मुर्तियां तराश कर अपना जीवन यापन कर रहे लोगों को अब अपना रोजगार तलाश करना पड़ रहा है। गृह सज्ज़ा के लिए बाजार में आए चकाचौंध से भरे सामानों की ओर लोगों के आकर्षण हो जाने के कारण उनका व्यवसाय अब ठप्प पड़ता  नजर आ रहा है। इस कारण उनके समक्ष गम्भीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। सरकार की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रहा है। इस कारण अब उन्हें अपना व परिवार का जीवन यापन करना भी कठिन हो गया है। गौरतलब है कि ईचागढ़ प्रखण्ड के कुड़कतोपा गांव के सैकड़ों परिवार जंगल से पत्थर चुनकर लाते हैं और इस पत्थर से अपने हाथों से लोहे की छेनी, हथौड़ी आदि द्वारा उसे काट कर विभिन्न प्रकार की खूबसूरत मुर्तियों का निर्माण करते हैं। इस गांव के छोटे-छोटे बच्चे से लेकर सभी महिला पुरुष मुर्तियां बना कर अपने-अपने परिवार का भरण- पोषण करते हैं। कोलकाता, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश आदि पड़ोसी राज्यो से व्यापारी गांव आकर कम दाम पर उसे खरीद कर ऊंची दाम में बिक्री शहर में बेचते हैं। किन्तु, इन दिनों इन मूर्तिकारों के व्यवसाय में कमी आई है जिसका प्रमुख कारण पूंजी का अभाव है। अब उनकी नज़रें सरकार पर टिकी है। केंद्र सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से इन परिवारों को आशा जगी है कि शायद इससे उन्हें कुछ लाभ मिल सके। हस्तशिल्प भृंगूराम कर्मकार और मंगल कर्मकार ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि केंद्र सरकार की इस योजना से उन्हें अवश्य लाभ मिलेगा ताकि अपने रोजगार को वह फिर से खड़ा कर सके।

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