सरायकेला : रख-रखाव के अभाव में चांडिल अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत झीमड़ी गांव में करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित एकलव्य विद्यालय जर्जर हो रहा है। इस आवासीय विद्यालय का निर्माण करीब चार वर्ष पूर्व कराया गया था। बताया गया था कि इस विद्यालय में आदिवासी बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाएगी। साथ ही, इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों के लिए सुविधायुक्त छात्रावास का निर्माण भी कराया गया था। इसमे कक्षा छह से बारहवीं कक्षा तक के 300छात्र-छात्राओं के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई थी। इसके लिए लाखों रुपए से टेबुल, बेंच, गद्दा, रजाई आदि सभी सामानों की खरीद भी की गई थी। किन्तु, सरकार की अनदेखी के कारण अब तक इस विद्यालय में शिक्षक व अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। फलस्वरूप यहां अबतक पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। इससे विद्यालय भवन का रख-रखाव भी नहीं हो रहा है। नतीजतन भवन जर्जर हो रहा है। स्थानीय ज़िप सदस्य असित पातर एवं उप मुखिया ने बताया कि विद्यालय चालू होने पर आदिवासी बच्चों को शिक्षा मिल पाएगा। बताया गया है कि सुरक्षा के लिए सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन की ओर से वहां दो होमगार्ड प्रतिनियुक्ति की गई है।
सरकार की उदासीनता के कारण जर्जर हो रहा है झिमड़ी का एकलव्य आवासीय विद्यालय Jhimdi's Eklavya Residential School is falling into disrepair due to government's indifference
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September 28, 2023

सरायकेला : रख-रखाव के अभाव में चांडिल अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत झीमड़ी गांव में करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित एकलव्य विद्यालय जर्जर हो रहा है। इस आवासीय विद्यालय का निर्माण करीब चार वर्ष पूर्व कराया गया था। बताया गया था कि इस विद्यालय में आदिवासी बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाएगी। साथ ही, इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों के लिए सुविधायुक्त छात्रावास का निर्माण भी कराया गया था। इसमे कक्षा छह से बारहवीं कक्षा तक के 300छात्र-छात्राओं के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई थी। इसके लिए लाखों रुपए से टेबुल, बेंच, गद्दा, रजाई आदि सभी सामानों की खरीद भी की गई थी। किन्तु, सरकार की अनदेखी के कारण अब तक इस विद्यालय में शिक्षक व अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। फलस्वरूप यहां अबतक पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। इससे विद्यालय भवन का रख-रखाव भी नहीं हो रहा है। नतीजतन भवन जर्जर हो रहा है। स्थानीय ज़िप सदस्य असित पातर एवं उप मुखिया ने बताया कि विद्यालय चालू होने पर आदिवासी बच्चों को शिक्षा मिल पाएगा। बताया गया है कि सुरक्षा के लिए सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन की ओर से वहां दो होमगार्ड प्रतिनियुक्ति की गई है।