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गोरापट्टी में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिन कृष्ण लीला की कथा सुनकर भाव विह्वल हुए श्रद्धालुOn the fifth day of Shrimad Bhagwat Katha organized in Gorapatti, the devotees were overwhelmed by listening to the story of Krishna Leela

गोरापट्टी(दरभंगा) : जिले के मझौलिया पंचायत अंतर्गत ग्राम गोरापट्टी में आयोजित स्थित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक पंडित जे0 तिवारी ने भक्तों को श्री कृष्ण जन्मोत्सव कथा के प्रसंग का व्याख्यान करतेे हुए कहा कि भगवान कृष्ण का जन्म जेल में हुआ था। फिर भी वे माया से प्रेरित होकर गोकूल पहुंच गए। उन्होंने भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान मनुष्य योनी में जन्म लेकर दुःख में भी सुखी जीवन जीने की सीख देते है। भगवान अंतर्यामी असीम शक्ति के पूंज है। लेकिन उन्होंने अधर्म का नाश और धर्म की पुनः स्थापना के लिए श्रीकृष्ण और श्रीराम सहित दशावतार धारण किए। उन्होंने गृहस्थ में रह कर सदाचार, परोपकार और सत्य के आधार पर जीवन जीने तथा सत्संग के जरिए सर्वव्यापी ईश्वर का नाम स्मरण करने की सलाह दी। मनुष्य के पास थोडा सा धन आने के बाद वह अभिमानी बन जाता है, जो नहीे होना चाहिए।उन्होंने कहा कि भगवत स्मरण धर्म, अर्थ, काम मोक्ष प्राप्ति का सरलतम मार्ग है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाया था कि कर्म थोड़ा दुखदायी होता है लेकिन बिना कर्म किये सुख की प्राप्ति भी नहीं हो सकती। अगर कर्म का उद्देश्य पवित्र व शुभ हो तो वही कर्म सत्कर्म बन जाता है। इस मौके पर महाराज जी द्धारा कृष्ण जन्मोत्सव पर 'नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' गीत पर भक्त जमकर झूमे। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं।

उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं। इस मौके पर भगवान को छप्पन भोग लगाया गया। इस अवसर पर कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजनों ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इसके आयोजन  में अमर कुमार लाभ समेत समस्त ग्रामवासियों की भूमिका रही।


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