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परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय जादूगोड़ा का छात्र रोहित कुमार गौरव को यूपीएससी परीक्षा में मिला 518 रैंक, पिता यूसिल अधिकारी रमेश सिंह समेत पूरे परिवार में हर्ष, खुशी के टपके आंसूRohit Kumar Gaurav, a student of Atomic Energy Central School, Jadugoda, got 518 rank in UPSC exam

विदेश सेवा में जाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सकारात्मक छवि बनना उद्देश्य- रोहित कुमार
जादूगोड़ा : परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय जादूगोड़ा का छात्र रोहित कुमार गौरव को यूपीएससी परीक्षा में 518 रैंक मिला है। उसका यह परिणाम सुन पिता यूसिल अधिकारी रमेश सिंह समेत पूरे परिवार के लोगों के खुशी के आंसू  छलक उठे।   ज्ञात हो कि रोहित कुमार गौरव जादूगोड़ा का दूसरा छात्र है जो यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण किया है। उसकी इस सफलता से पूरा जादूगोड़ा गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उसकी इच्छा विदेश सेवा में जानी की है ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की सकारात्मक छवि बना सके। रोहित कुमार गौरव की इस सफलता पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। बेटे की इस सफलता की खबर पर यूसिल लेखा अधिकारी पिता रमेश सिंह, माता ललिता देवी, बहन रौशनी की आंखों में खुशी की आंसू छलक उठे। परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय का छात्र रोहित कुमार गौरव बारहवीं की परीक्षा में सेकेंड टॉपर रहा था। यहां से उसने उड़ान भरी और वीआईटी वेल्लूर से इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक में बीटेक की डिग्री हासिल की। फिर आईआईएम रायपुर, छत्तीसगढ़ से फाइनेंस में एमबीए की पढ़ाई पूरी कर स्टैंडर्ड चार्टड बैंक ऑफ यूनाइटेड किंगडम में 29 लाख के पैकेज पर वेल्लूर में योगदान दिया। वर्ष 2018 से उसने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और छह साल की कड़ी मेहनत के बाद इस वर्ष उसे सफलता मिली। इस परीक्षा में 1009 बच्चों का चयन किया गया जिसमें जादूगोड़ा के रोहित कुमार गौरव को 518 वा रैंक हासिल करने में सफलता मिली।
 
मनोरंजन से दूर का रिश्ता था- रमेश सिंह
अपने बेटे रोहित कुमार गौरव की सफलता पर उसके पिता रमेश सिंह समेत पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उसके पिता यूसिल में लेखा अधिकारी के पद पर पदस्थापित है। वे कहते है कि बैंक में नौकरी करते हुए यूपीएससी की तैयारी शुरू की। बीते छह सालों में मोबाइल व मनोरंजन से वह दूर रहा। अंत में उसकी मेहनत रंग लाई।

कभी हताशा नहीं हुई- रौशनी
अपने बड़े भाई की सफलता के बाबत उसकी बहन रौशनी कहती है कि वर्ष 2018 से प्रयास शुरू किया और वर्ष 2025 में उसे सफलता मिली। लेकिन इन छह सालों में अपने लक्ष्य को लेकर कभी हताश नहीं हुआ और लगातार मेहनत करते रहा। अंत में सफलता उसके चरण चूम ली।

बचपन में ही बेटे की प्रतिभा की भाप ली थी- ललिता देवी
बचपन में  ही बेटे की प्रतिभा की भाप ली थी उसकी मां ललिता देवी ने। वह कहती है कि उसमें प्रतिभा कूट-कूट कर भरी हुई थी जो आज सबके सामने दिखा। फिलहाल वह अगले एक सप्ताह के बाद प्रशिक्षण को लेकर मैसूर जाने की तैयारी में जुट गया है।


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