सरायकेला : भाजपा की ओर से बीते शनिवार को झारखंड विधानसभा के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के साथ ही पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। हालांकि कई जगहों पर पार्टी के उम्मीदवारों का कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत भी किया जा रहा है। लेकिन वर्षों से जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के विरोध के कारण भाजपा के सामने स्थिति गम्भीर होती जा रही है। वर्षों से टिकट की आस लगाए बैठे वैसे उम्मीदवार जिन्हें टिकट नहीं दिया गया अब वे खुलकर पार्टी के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार कर चुके हैं। इसी कड़ी में भाजपा के कद्दावर नेता और दो बार सरायकेला विधानसभा सीट से प्रत्याशी रहे गणेश महाली, बास्को बेसरा और खरसावां के पूर्व विधायक भी बगावती नेताओं में शामिल हो गए हैं। इन्होंने बगावती तेवर अपनाते हुए पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया है। एक ओर विगत तीन दिन पूर्व गणेश महाली ने अपने फेसबुक पेज पर जिला अध्यक्ष के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद को बीजेपी का समर्पित कार्यकर्ता बताया था। परंतु, टिकट की घोषणा होते ही उन्होंने बड़ा कदम उठाते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। रविवार को प्रदेश अध्यक्ष को भेजे अपने त्यागपत्र में उन्होंने अपनी भावनाओं से अवगत कराते हुए लिखा है कि 25 वर्षों से भाजपा का एक सच्चा एवं निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में मैंने पार्टी और संगठन को तन मन धन के साथ दिन-रात मजबूत करने का कार्य किया। वर्तमान में पार्टी पहले जैसा नहीं रहा और अभी बाहर से आए लोगों की मनमानी चल रही है। इस कारण दुखी मन से मैं पार्टी छोड़ रहा हूं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनकी बातचीत हुई है और झामुमो से टिकट मिलने की उन्हें उम्मीद है। विदित हो कि गणेश महाली खरसावां से टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के साथ पार्टी में शामिल होने वाले जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा को टिकट दिए जाने के बाद उनकी उम्मीदें समाप्त हो गई। उसी प्रकार, बास्को बेसरा ने भी बगावत का रुख अख्तियार करते हुए भाजपा से अपना नाता तोड़कर झामुमो में शामिल हो गए हैं।
इसी प्रकार, खरसावां विधानसभा के पूर्व विधायक मंगल सिंह सोय ने पार्टी के टिकट बंटवारे के फैसले से आहत होकर प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को एक पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी के किसी भी जिम्मेवारी से स्वंय को मुक्त रखने की मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा है कि पिछले 20 वर्षों से भाजपा का एक सक्रिय सदस्य एवं समर्पित कार्यकर्ता हूं। वर्ष 2009 में खरसावां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और लगभग 25 हजार मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी को पराजित किया था। उसी दौरान, वर्ष 2010 में पार्टी के निर्देशानुसार, राज्यहित में एवं राष्ट्रपति शासन को समाप्त करने की पहल करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के लिए मैंने सीट खाली करते हुए खरसावां विधानसभा क्षेत्र से इस्तीफा दिया ताकि उनका चुनाव लड़ने का मार्ग प्रशस्त हो सके। उसके पश्चात, वर्ष
2019 के चुनाव में भी मुझे टिकट नहीं दिया गया। परंतु पार्टी के निर्देशानुसार चाईबासा निवासी प्रत्याशी जवाहरलाल बानरा को टिकट प्रदान किया गया और हमने उनका तहे दिल से समर्थन किया। किन्तु वे चुनाव हार गए। पूर्व में अपने अनुभव और जनता के लिए किए गए कार्य एवं उनके मध्य अपनी गहरी पैठ को ध्यान में रखकर पुनः एक बार 2024 के विधानसभा चुनाव लड़ने का अवसर प्रदान करने का प्रार्थना करते हुए जिला अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, झारखंड के चुनाव प्रभारी सहित राज्य एवं केंद्र के सभी पदाधिकारी से अनुरोध किया। मुझे विश्वास था कि पार्टी के लिए मेरे समर्पण को ध्यान में रखकर मेरी वफादारी का मुझे इनाम मिलेगा। लेकिन वर्षों की मेरी वफादारी का इनाम मुझे यह मिला कि मेरे अनुरोध को दरकिनार करते हुए किसी अन्य व्यक्ति को टिकट दे दिया गया। लिखा है कि पार्टी के इस निर्णय से मुझे गहरा आघात लगा है।
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