रांची(Ranchi) : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) में चेयरमैन का पद बीते 22 अगस्त से खाली है। तत्कालीन चेयरमैन नीलिमा केरकेट्टा की सेवानिवृति के बाद से यह महत्वपूर्ण पद खाली पड़ा है जबकि सरकार की ओर से ना तो स्थायी चेयरमैन और ना ही कार्यवाहक चेयरमैन की नियुक्ति अबतक की जा सकी है। यह स्थिति राज्य के उन हजारों छात्रों के लिए बेहद चिंता का विषय बन गई है जो इस आयोग के माध्यम से अपने भविष्य की राह देख रहे हैं। गौरतलब है कि
जेपीएससी राज्य का सर्वोच्च संवैधानिक निकाय है जो सिविल सेवकों की भर्ती कर है। लेकिन इस महत्वपूर्ण आयोग के प्रति सरकार की उदासीनता बहुत ही निराशाजनक है। बीते 22 अगस्त के बाद से सरकार की ओर से तीन से चार कैबिनेट की बैठकें हो चुकी है। लेकिन चेयरमैन की नियुक्ति के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। इससे छात्रों का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है। इस अनिश्चितता के चलते वे ना तो ठीक से सो पा रहे हैं और न ही अपने अध्ययन पर ध्यान केंद्रित कर पा रहे हैं। राज्य में विस चुनाव भी नज़दीक हैं और अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक आचार संहिता लागू हो सकती है। उसके बाद किसी भी प्रकार की नियुक्ति या पदभार ग्रहण करना संभव नहीं होगा। यह छात्रों के लिए बहुत बड़ी उलझन पैदा कर रहा है। यदि अभी नियुक्ति नहीं हुई, तो अगले साल तक देरी होने की संभावना है। क्या सरकार छात्रों के प्रति चिंतित नहीं है? जबकि राज्य में नई-नई कल्याणकारी योजनाओं का उद्घाटन और जिला स्तर पर रैलियों का आयोजन हो रहा है, वहीं जेपीएससी में चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है और आयोग की विभिन्न भर्तियों की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पा रही है। छात्रों का कहना है कि क्या सरकार इन छात्रों के भविष्य की चिंता करेगी या फिर ये केवल राजनीतिक घोषणाओं तक ही सीमित रहेगा?
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