गम्हरिया : कांड्रा, गम्हरिया समेत पूरे जिले में महिलाओं ने विधि विधान के साथ पूजा पाठ कर जिउतिया पर्व मनाया। इस दौरान माताओं ने दो दिनों तक निर्जला व्रत रखकर पूजा अर्चना कर अपने पुत्र के दीर्घायु होने की कामना किया। हिंदू धर्म के अनुसार, जिऊतिया व्रत जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है विशेष रूप से माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए किया जाता है। इस दौरान माताएं व्रत निर्जला व्रत रख कर बुधवार की शाम स्नानादि व पूजा अर्चना के बाद पारण कर व्रत को समाप्त किया। इस व्रत का धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की आयु लंबी होती है और वह जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करता है। इसके अलावा इस व्रत के पुण्य प्रभाव से नि:सन्तान महिलाएं भी संतान को प्राप्त करती है। इस व्रत की परंपरा मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मिथिलांचल क्षेत्र में अधिक प्रचलित है। पौराणिक कथा के अनुसार राजा जीतवाहन ने अपनी संतान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उन्होंने गरुड़ के सामने खुद को प्रस्तुत किया ताकि नागराज की संतान सुरक्षित रह सके। उनके इस महान त्याग से प्रभावित होकर जिउतिया व्रत की परंपरा शुरू हुई।
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