कांड्रा : आनन्दमार्ग स्कूल कांड्रा में श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर आनन्दमार्ग की ओर से प्रथम दीक्षा दिवस मनाया गया। इस मौके पर मुख्य रूप से उपस्थित आनन्दमार्ग प्रचारक संघ के जिला भुक्ति प्रधान गोपाल बर्मन ने कहा कि मनुष्य का जीवन, मुक्ति की आकांक्षा एवं सदगुरु का सानिध्य ये तीन चीजें दुर्लभ है। मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने के लिए साधना, सेवा, सत्संग और त्याग के राह पर गम्भीरतापूर्वक चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्णिमा का यह त्योहार आनन्दमार्ग के साधकों एवं साधिकाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। बताया कि 85 साल पूर्व वर्ष 1939 में आनन्दमार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ने श्रावणी पूर्णिमा के रात्रि में भागीरथी नदी के काशीमित्र घाट पर दुर्दांत डाकू कालीचरण बंधोपाध्याय को तंत्र दीक्षा देकर उनको देवत्व में प्रतिष्ठित किया था। वे ही बाद में कालिकानन्द अवधूत के नाम से मशहूर हुए। साथ ही, इसी श्रावणी पूर्णिमा के दिन मार्ग गुरुदेव ने नूतन आनन्द मार्गीय सभ्यता का सूत्रपात किया जो विश्व को नई रोशनी प्रदान कर रहा है। इस अवसर पर अनेक साधक साधिका अपने संकल्प को पुनःदोहराते हुए अपने जीवन रथ कोआलोकमय करने में पूरी शक्ति के साथ लग जाते हैं। इसलिए इस दिन को प्रथम दीक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर काफी संख्या में आनंदमार्ग के अनुयायी उपस्थित थे।
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
--ADVERTISEMENT--
.
.
.
0 Comments