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भूमि सुधार आंदोलन के बैनर तले 51 बस्तियों के लोगों ने प्रखंड मुख्यालय पर किया प्रदर्शन People from 51 settlements demonstrated at the block headquarters under the banner of land reform movement

राज्यपाल को सम्बोधित चार सूत्री ज्ञापन सीओ को सौंपा
गम्हरिया : भूमि सुधार आंदोलन के बैनर तले 51 बस्तियों के लोगों द्वारा शुक्रवार को संरक्षक रमेश हांसदा के नेतृत्व में गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय के समक्ष अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के बाद अंचल अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को संबोधित चार सूत्री ज्ञापन सौंपा गया। उनकी मुख्य मांगों में आदित्यपुर एवं गम्हरिया प्रखंड में सरकारी जमीन पर बसे 51 बस्तियों की जमीन को वहां बसे लोगों के नाम बंदोबस्ती करना शामिल है। ज्ञापन के माध्यम से बताया गया है कि वर्ष 1983 में तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा नोटिफाइड एरिया में सर्वे किया गया था जिसमे मानगो और जुगसलाई को मान लिया गया, लेकिन आदित्यपुर के सर्वे को नहीं माना गया। उन्होंने वर्ष 1983 सर्वे को मान्यता देने की मांग की। बताया गया है कि झारखंड में 1932-64 के बाद सर्वे सेटेलमेंट नहीं हुआ है। इस कारण राज्य में जमीन की काफी हेराफेरी हो रही है एवं कई अधिकारी जेल भी जा रहे हैं।। इसलिए अविलंब सेटलमेंट की मांग की। इसके अलावा जिले में 50 प्रतिशत से ज्यादा जमीन ऑनलाइन पंजी 2 में नहीं चढ़ा है जिसे अविलंब चढ़ाए जाने की मांग की गई। इस मौके पर भाजपा नेता रमेश हांसदा ने कहा कि जमशेदपुर में टाटा कंपनी ने वर्ष 1907 से ही लोहे का निर्माण शुरू किया था। इसमें लगे हजारों मजदूरों को अगल-बगल के क्षेत्र राजनगर, चाईबासा, मयूरभंज, रायरंगपुर, मिदनापुर, पुरुलिया, रांची, गुमला, आदि क्षेत्रों से यहां लाया गया था। सरकार ने आदित्यपुर में भी रैयतों से जमीन अधिग्रहण करके आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण किया जिसमें काम करने के लिए हजारों लोग आए। सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र तो बना दिया लेकिन यहां काम करने वालों के रहने के कोई व्यवस्था नहीं की। उनके रहने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण धीरे-धीरे ये लोग खरकई नदी के इस पार आदित्यपुर क्षेत्र में बसना शुरू कर दिया। आज ऐसे बस्तियों की संख्या 51 हो गई है। ये लोग करीब 70 वर्षों से बसे हुए हैं इन्हें उनका अधिकार मिलना चाहिए। ज्ञापन सौंपने वालों में मुख्य रूप से अभिजीत दत्ता, अरविन्द कुमार हीरा, माईकल महतो, विशु महतो, कार्तिक मंडल, रीता मंडल, चिन्मय महतो, बोन्ज गोप, पवन महतो, लुस्की सोरेन, ध्रुव सिंह, गौरी शंकर टुडू, सपन महतो, वीर सिंह टुडू, शुकलाल महतो, वीरेंद्र घटक, विकास महतो आदि शामिल थे।


भूमि सुधार आंदोलन में आदित्यपुर व गम्हरिया की निम्नलिखित 51 बस्तियां शामिल हैं :
सालडीह बस्ती, माझी टोला, संजय नगर, त्रिपुरा कॉलोनी, चंपाई नगर, बैंक कॉलोनी, दिंदली बस्ती, हरिओम नगर, इंदिरा बस्ती, रिवरव्यु बस्ती, राम मड़ैया बस्ती, शर्मा बस्ती, गुमटी बस्ती, चुना भट्टा, अलकतरा ड्राम बस्ती, कृष्णा नगर, ब्राह्मण टोला, सीतापुर बस्ती, ईमली चौक, चुना भट्टा, आदित्यपुर बस्ती, घासीराम कॉलोनी, इच्छापुर लाईन टोला, बंतानगर, एबीसी जोन, कुलूपटंगा बस्ती, रायडीह बस्ती, लंका टोला शिव काली मंदिर, रायडीह सूर्य मंदिर, विनोद नगर, महावीर नगर, रिक्शा कॉलोनी, बावरीपाड़ा, बाबा आश्रम, मोती नगर साई कॉलोनी, आदर्श नगर, बेलडीह बस्ती, भाटिया बस्ती, विद्युत नगर, मीरुडीह बस्ती, बास्को नगर, गम्हरिया नीमपाड़ा, श्रीडुंगरी, सातबहिनी, जमालपुर, जुलुमटाड़, शांतिनगर, बोलाईडीह, गम्हरिया मोतीनगर, बलरामपुर, शंकरपुर और जगन्नाथपुर बस्ती शामिल हैं।

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