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भाषा के बिना अस्मिता की पहचान नहीं- माझी युवराज टुडू There is no recognition of identity without language - Majhi Yuvraj Tudu


राजदोहा गांव में संथाली भाषा सम्मान  दिवस का हुआ आयोजन 
जादूगोड़ा : जादूगोड़ा थाना क्षेत्र के राजदोहा गांव के डुंगरीडीह टोला स्थित जब क्लब भवन में रविवार को संथाली भाषा सम्मान दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजदोहा ग्राम प्रधान माझी युवराज टुडू ने किया। इस समारोह में जादूगोड़ा व पोटका के सभी ग्राम प्रधान मसलन धोबनी, झरिया, भाटीन, मेचुआ, टिलाईटाड, गोपालपुर, बरजूडीह, कनिकोला, कोकदा  राजदोहा समेत अन्य ग्राम प्रधानो ने हिस्सा लिया। इस मौके पर आयोजक माझी युवराज टुडू ने कहा कि आज ही के दिन विगत 07 जनवरी'2004 को तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति ए.पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा संसद के दोनों सदनों से पारित 92वां संविधान संशोधन विधेयक 2003 पर अपनी सहमति दी गई थी। जिसके पश्चात संथाली भाषा के अलावे बोडो, डोगरी तथा मैथिली भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया। संथाली भाषा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए माझी बाबा युवराज टुडू ने कहा कि किसी भी समाज में भाषा के बिना अस्मिता की पहचान नहीं होती। आज अगर किसी समाज के किसी व्यक्ति को उसकी भाषा से दूर कर दिया जाय और उसकी जगह कोई दूसरी भाषा अपना लें तो इससे उसकी अस्मिता कहीं न कहीं से प्रभावित होगी । भाषा ही वह सर्वश्रेष्ठ तत्व है जिसके द्वारा एक मानव समाज की सृष्टि होती हैं। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान के आठवीं अनुसूची में सम्मिलित सभी भाषाओं का विकास करना केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार का दायित्व है। वर्तमान में झारखंड सरकार द्वारा प्राथमिकी स्तर पर मातृभाषा संथाली से शिक्षा पर पहल करने की आवश्यकता है। इस मौके पर ग्राम राजदोहा के अलावे मेचुवा पुडसी अखड़ा के माझी बाबा गण उपस्थित थे।

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