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राजमहल पहाड़ मामले में एनजीटी का आया आदेश, ईडी हलफनामा देने के लिए हुई तैयार NGT's order came in Rajmahal Pahad case


प्रदुषण बोर्ड ने लिया चार सप्ताह का समय, अगली सुनवाई 14 मार्च को
साहिबगंज : जिले के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सह पर्यावरण प्रेमी सैयद अरशद नसर द्वारा झारखंड के ऐतिहासिक राजमहल पहाड़ के संरक्षण व संवर्धन हेतु तथा जिले में अवैध रूप से संचालित सभी स्टोन माईंस व क्रशर को बंद कराने के लिए एनजीटी ईस्टर्न जोन कोलकाता में दायर याचिका संख्या-23/2017 की सुनवाई बीते शुक्रवार को पीठ के जुडिशियल मेंबर न्यायमूर्ति बी.अमित स्टालेकर और एक्स्पर्ट मेंबर डॉ0 अरूण कुमार वर्मा ने सुनवाई करते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया था।मंगलवार को इस मामले में आदेश आया जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अधिवक्ता अनामिका पांडे ने ईडी की तरफ़ से कोर्ट को कहा कि ईडी की तरफ से हलफनामा तैयार हो गया है। उसे अगली सुनवाई तिथि से पूर्व न्यायालय और याचिकाकर्ता अरशद नसर को उपलब्ध करा दिया जाएगा।


दूसरी ओर, झारखंड राज्य प्रदुषण बोर्ड के अधिवक्ता कुमार अनुराग सिंह ने फ्रेश हलफनामा दाखिल करने के लिए और चार सप्ताह का समय देने का कोर्ट से आग्रह किया जिसे एनजीटी ने स्वीकार करते हुए चार सप्ताह का समय दे दिया। सुनवाई में याचिकाकर्ता अरशद नसर और उनकी तरफ से कोलकाता हाईकोर्ट की विद्वान अधिवक्ता पौशाली बनर्जी व दीपांजन घोष उपस्थित थे।एनजीटी की समझ रखने वाले जानकार बताते हैं कि ईडी की तरफ से हलफनामा दाखिल होने पर एनजीटी का पत्थर  माफियाओं, कारोबारियों समेत भ्रष्ट पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई व भारी भरकम   पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जुर्माना लगाया जा सकता है। इस संभावना से पत्थर माफियाओं समेत पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारियों में भय व्याप्त है। इस मामले की अगली सुनवाई आगामी 14 मार्च को होगी। अब सभी की नज़रें अगली सुनवाई तिथि पर और ईडी के द्वारा दाखिल किए जाने वाले हलफनामा पर टिक गईं है। बताते चलें कि ईडी ने जिले में भारी भरकम 1250 करोड़ के अवैध खनन के मामले को पकड़ा है जिसमें कई सफेदपोश जेल के भीतर है तो कुछ बेल पर हैं तो कुछ फरार हैं तो कई ईडी के राडार पर हैं। जिसमें पत्थर माफियाओं, राजनितिज्ञ समेत पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारी भी शामिल होने की आशंका हैं।

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