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उप विकास आयुक्त ने किया डायन कुप्रथा उन्मूलन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना DDC flagged off witchcraft eradication awareness chariot



अभियान का मुख्य उद्देश्य डायन कुप्रथा को जड़ से समाप्त कर महिलाओं को सशक्त करना है- डीडीसी
सरायकेला : जिला समाहरणालय परिसर से उप विकास आयुक्त प्रवीण कुमार गागराई ने गुरुवार को डायन कुप्रथा उन्मूलन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सत्या ठाकुर, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, महिला बाल विकास पदाधिकारी समेत कई पदाधिकारी भी मौजूद थे। इस मौके पर उप विकास आयुक्त ने कहा कि महिला एवं बाल विकास सामाजिक सुरक्षा विभाग के निर्देश पर डायन कुप्रथा के प्रति लोगो को जागरूक करने के उदेश्य से सरायकेला एवं चांडिल अनुमंडल के लिए अलग-अलग जागरूकता वाहन को रवाना किया गया है। यह जागरूकता वाहन सभी प्रखंडो मे दो-दो दिन भ्रमण कर डायन कुप्रथा उन्मूलन के प्रति लोगो को जागरूक करेगी।उन्होंने कहा कि डायन कुप्रथा के प्रति लोगों को जागरूक करना तथा महिलाओ को सशक्त करना अभियान का मुख्य उदेश्य है।

डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 2001के तहत प्रवधान :
●डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 2001के तहत किसी महिला को डायन के रूप में पहचान करने वाले तथा उस पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य,शब्द या रीति से कार्रवाई करने वाले को अधिकतम तीन महीने तक कारावास की सजा अथवा एक हजार रूपये जुर्माना अथवा दोनों सजा का प्रावधान है।
●किसी महिला को डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना जानबूझकर या अन्यथा प्रताड़ित करने पर छः माह की अवधि के लिए कारावास की सजा अथवा दो हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है।
●किसी महिला को डायन के रूप में पहचान करने के लिए साक्ष्य या अनवधता से अन्य व्यक्ति अथवा समाज के लोगों को उकसाने या षडयंत्र रचने या सहयोग करने की स्थिति में तीन महीने तक का कारावास अथवा एक हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनों सजा से दण्डित करने का प्रावधान है।
●डायन के रूप में पहचान की गई महिला को शारीरिक या मानसिक हानि पहुँचाकर अथवा प्रताड़ित कर झाड़-फूंक या टोटका द्वारा उपचार करने वाले को एक साल तक के कारावास की सजा अथवा दो हजार रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों सजा का प्रावधान है।

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