सरायकेला : शिबू कुमार झा से 'सनी' बनी आदित्यपुर की ट्रांसवुमन को बचपन से ही दोस्तों, करीबियों, पड़ोसियों, सम्बंधियों द्वारा चिढ़ाने, भद्दे कमेंट्स, अपमानजनक टिप्पणी और शारीरिक प्रताड़ना ने इतना झकझोर दिया था कि आम बचपन, अवसाद की स्थिति में आ जाता। लेकिन सनी ने उसे चुनौती के रुप में लिया और उसी अपमान ने उसे इतना सशक्त बना दिया कि विपरीत परिस्थितियों में भी उसने गवर्नमेंट मिडिल स्कूल, आदित्यपुर से सफलतापूर्वक अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी कर ली। आगे का जीवन अंधकारमय था, किंतु टाटा स्टील लॉग प्रोडक्ट्स के सीएसआर विभाग से सम्पर्क होने के बाद उसकी किस्मत ने करवट ली और आज सनी प्रतिमाह इतनी आय उपार्जन कर लेती है कि वो अब स्वतंत्र और खुशहाल जीवन गुजार सकती है.
माँ 'मेड' का काम करने वाली, पिता एक श्रमिक और एक भाई के कुल चार सदस्यों के परिवार में शिबू कुमार झा मानसिक और शारीरिक रूप से एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के बीच रहना पसंद करता था. अपने परिवार में कठोर सामाजिक भेदभाव के बावजूद वह एक महिला के रूप में रहने के रुझान को कायम रखते हुए वह 'सनी' बन गई. परिवार की गाड़ी मुश्किल से सरकती थी. इसलिए वह इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी. परिवार का आधार बनने के लिए सनी कुछ करना चाहती थी. बचपन से ही सनी की रूचि कॉस्मेटोलॉजी की ओर थी, लेकिन कहीं से भी स्टार्ट अप नहीं मिल रहा था. लेकिन उसे यकीन था कि मेकअप और सुंदरता की दुनिया उन्हें अभिव्यक्त करने के लिए एक रचनात्मक कैनवास प्रदान करेगी. उसके बाद सनी ने टाटा स्टील लॉग प्रोडक्ट्स के सीएसआर विभाग से सम्पर्क किया. कम्पनी के एक चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद उसे वंदना लूथरा कर्ल्स एंड कर्व्स (वीएलसीसी), भालुबासा के माध्यम से छह महीने के कौशल विकास कॉस्मेटोलॉजी का प्रशिक्षण दिलाया गया. प्रशिक्षण के दौरान ही उसने स्वयं को समान विचारधारा वाले व्यक्तियों से जोड़ा और एक नेटवर्क विकसित किया जो एक दूसरे के साथ स्वीकृति, विचार और अनुभव साझा करते हैं. टीएसपीएल ने सनी के सपनों को उड़ान भरने का सामर्थ्य प्रदान कर दिया है. आज वह दस हजार रुपये न्यूनतम मासिक आय के साथ फ्रिलांसिंग करती है और परिवार का आधार बनी है.
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