राष्ट्रीय खेल दिवस पर रविन्द्र बाल संस्कार स्कूल में खेल प्रतियोगिता आयोजित Sports competition organized at Ravindra Bal Sanskar School on National Sports Day

चाईबासा : प0 सिंहभूम जिले के झींकपानी प्रखंड अंतर्गत रवीन्द्र बाल संस्कार स्कूल असुरा में प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस पर मनाए जा रहे राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में एलआईसी चाईबासा के कर्मचारी तथा हो भाषा के लेखक सह समाजसेवी जवाहरलाल बंकिरा द्वारा पौधारोपण किया गया. इस अवसर पर खेल एवं सामाजिक ज्ञान प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया. इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक सह प्रधानाध्यापक सिकन्दर बुड़ीउली ने बच्चों को मेजर ध्यानचंद के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा कि मेजर ध्यानचंद 16 साल के उम्र में भारतीय सेना में शामिल हुए थे और सेना हॉकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे। वर्ष 1928 में ओलिंपिक खेल में उन्होंने भारतीय हॉकी टीम में अपनी जगह बना ली. उसके बाद वर्ष 1928, 1932 और 1936 में खेले गए ओलिंपिक के कुल 12 मैचों में 37 गोल दाग कर तीनों ओलिंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वर्ष 1956 में वे भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए. इस कार्यक्रम में असुरा पंचायत के उपमुखिया सुनील बुड़ीउली ने भी बच्चों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि मानव जीवन में खेल ही एक ऐसा माध्यम है जिससे हम स्वस्थ रह सकते है और मनोरंजन का लाभ भी उठा सकते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चो को पढ़ाई के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने की जरूरत है. कहा कि देश- विदेशों में अच्छे खेल का प्रदर्शन कर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और इसके माध्यम से अपने गाँव, राज्य एवं देश का नाम रोशन कर सकते हैं. सामाजिक ज्ञान प्रतियोगिता में रामानुज गोप प्रथम, अखिलेश बुड़ीउली द्वितीय व पितानी पूर्ती तृतीय स्थान पर रहे जबकि 200 मीटर दौड़ के सीनियर बालकों में प्रथम रायसिंह मुंदुइया, द्वितीय सिद्धेश्वर सवैयां व तृतीय अखिलेश बुड़ीउली, 100 मीटर दौड़ सीनियर बालिकाओं में संजना प्रथम खण्डाईत, द्वितीय जयंती दिग्गी व तृतीय स्थान पर स्वीटी ठाकुर, 100 मीटर जूनियर बालको में प्रथम जोहन खण्डाईत, द्वितीय ईश्वर बुड़ीउली व तृतीय किशन आल्डा तथा 100 मीटर जूनियर बालिका वर्ग में प्रथम स्नेह दिग्गी, द्वितीय जसलीन गोप तथा तृतीय स्थान पर मनीष गागराई रही. कार्यक्रम के सफल आयोजन में शिक्षक जीवन तामसोय, मुकेश गोप, शिक्षिका सरिता सरिमा,आश्रित बुड़ीउली, तुलसी बुड़ीउली, जामुना बिरुवा, मनीषा हेम्ब्रम, अंजली लागुरी, सुशान्ति बोयपाई समेत अभी अभिभावको का योगदान रहा.

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