जमशेदपुर : सोनारी के दोमुहानी में जमे करीब 48 हजार मैट्रिक टन कचरे को बायोमाइनिंग (जैव खनन) तकनीक से हटाकर वहां यहां खूबसूरत पार्क बनाया जाएगा। इसके लिए जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) ने गुरु रामदास कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी के साथ करार किया है। गुरु रामदास कंस्ट्रक्शन के तकनीकी निदेशक प्रशांत चेंडके और जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के विशेष अधिकारी संजय कुमार के बीच एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया गया है. जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के विशेष अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि बायोमाइनिंग तकनीक से कचरा हटाने और यहां खूबसूरत पार्क बनाने के लिए कंपनी को छह महीने का समय दिया गया है.
बायोमाइनिंग प्रक्रिया क्या है
बायोमाइनिंग (जैव खनन) एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा कचरा या अपशिष्ट को जीवों या प्राकृतिक तत्व जैसे हवा और सूरज की रोशनी के साथ ट्रीट किया जाता है ताकि कचरे में बायोडिग्रेडेबल तत्व समय के साथ टूट जाए। मूल रूप से बायोमाइनिंग खान के कचरे से आर्थिक मूल्य की धातुओं को निकालने के लिए सूक्ष्म जीवों का उपयोग करने की प्रक्रिया है। जैव खनन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें प्लास्टिक, धातु, कांच, ज्वलनशील पदार्थ व अन्य महीन सामग्री और मिट्टी को फिर से प्राप्त करने के लिए लैंडफिल साइट से पहले डंप की गई सामग्री को खोदना शामिल है। इस प्रकार बरामद प्लास्टिक, धातु और अन्य सामग्री को पुनर्चक्रण के लिए भेजा जाता है। लैंडफिल साइट में बायोडिग्रेडेबल कचरा विघटित हो जाता है और इससे प्राप्त सामग्री रीसाइक्लिंग के लिए भेजी जाती है।
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