वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 आदिवासियों के विरुद्ध केंद्र सरकार की साजिश: चंपई सोरेन Saraikela minister champai soren reaction

सरायकेला: केंद्र सरकार द्वारा वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पर राज्य के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि विधेयक आदिवासियों के विरुद्ध है. केंद्र सरकार इस विधेयक के माध्यम से पूंजीपतियों को स्थापित कर पूंजीवाद को बढ़ावा देना चाहती हैं. जिले के आदित्यपुर स्थित झामुमो कार्यालय में पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में मंत्री चंपई सोरेन ने केंद्र सरकार के वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 को आदिवासी -मूलवासीयों के विरुद्ध बताया. मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को स्थापित कर केंद्र सरकार ना सिर्फ आदिवासियों के हक को खत्म करना चाहती है, बल्कि ग्राम सभा को भी दरकिनार कर नई व्यवस्था स्थापित करने की साजिश में है. उन्होंने ने कहा कि आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए पेसा कानून, सीएनटी जैसे कानून हैं, लेकिन इस वन संरक्षक संशोधन विधेयक को लाकर केंद्र सरकार पूर्व के कानून प्रावधान को शिथिल करना चाहती है.
जल, जंगल ,जमीन  छीनने का प्रयास कर रही केंद्र सरकार
वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 को लोकसभा से मंजूरी मिलने पर मंत्री चंपई सोरेन ने इसे आदिवासियों पर कुठाराघात बताया है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन को छीन कर इनसे दूर करने का सरकार ने प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक झारखंड जैसे राज्य के लिए कभी फायदेमंद साबित नहीं हो सकता है. गौरतलब है कि वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 देश में वन संरक्षण के लिये एक महत्वपूर्ण केन्द्रीय कानून है। कानून के तहत प्रावधान है कि आरक्षित वनों को अनारक्षित करना, वन भूमि का गैर-वन कार्यों के लिए उपयोग, वन भूमि को पट्टे पर अथवा अन्य तरीके से निजी इकाईयों को देना और प्राकृतिक रूप से उगे पेड़ों का पुनः वनीकरण कर काटने के लिए केन्द्र सरकार की अनुमति आवश्यक है और इस विधेयक को संशोधित कर लोकसभा से पारित किया गया है.

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