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आदिवासी सोशियो एजुकेशनल एंड कल्चरल एसोसिएशन( असेका) का नरवा पहाड़ यूसिल कॉलोनी में एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित A one day conference of Adivasi Socio Educational and Cultural Association (ASEKA) was organized at Narwa Pahad USIL Colony

केजी से लेकर पीजी तक ओलचिकी स्क्रिप्ट में हो पढ़ाई- शंकर सोरेन
जादूगोड़ा : आदिवासी सोशियो एजुकेशनल एंड कल्चरल एसोसिएशन( असेका) का नरवा पहाड़ यूसिल कॉलोनी स्थित सामुदायिक डेवलपमेंट सेंटर में एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पंडित रघुनाथ मुर्मू व  शिक्षा के देवता विदु चादान की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर  की गई। इस मौके पर असेका के महासचिव शंकर सोरेन ने कहा कि वर्ष 1925 में ओलचिकी लिपि का निर्माण हुआ था। आगामी 2025 में उसका सौ साल होने को है। लेकिन राजभाषा संथाली की मांग आज तक पूरी नहीं हुई। उन्होंने  मांग किया कि केजी से लेकर पीजी तक ओलचिकी लिपि में पढ़ाई झारखंड की नई सरकार लागू करे व झारखंड में संथाली पहली राज्य भाषा बने। उन्होंने कहा कि संथाल बहुल गांव के प्राथमिक विद्यालयों व जिला स्तर पर हाई स्कूल में ओलचिकी में पढ़ाई हो और किताबें  उपलब्ध कराई जाए ताकि झारखंड में जन-जन की भाषा संथाली बन सके। इस दौरान अन्य वक्ताओं में असेका के अध्यक्ष सुभाष चंद्र मार्डी, प्रो0 लखाई बास्के, आसनबनी तरफ परगना हरिपद मुर्मू, दुर्गा प्रसाद मुर्मू, माझी बाबा, वीरेन टुडू, असेका सचिव की बोईता सोरेन, मानसिंह माझी( ऑल इंडिया संथाली राइटर्स एसोसिएशन) आदि ने संथाली साहित्यकार भाषा का गठन की मांग उठाई। इस सम्मेलन में आसेका के कार्यकारणी सदस्यों  की ओर से सालखु मुर्मू, सुरेश मुर्मू, दिलीप मुर्मू, सौरभ हांसदा, बंगाल, दिनेश, कान्हु राम समेत कई ओलचिकी शिक्षक व  कई शिक्षाविद्, साहित्यक प्रेमी, बुद्धिजीवी, पारम्परिक माझी बाबा  उपस्थित थे।

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