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कलश स्थापन के साथ ही शारदीय नवरात्र शुरू, माता के प्रथम रूप शैलपुत्री की हुई पूजा Sharadiya Navratri begins with the installation of the Kalash


 गम्हरिया : विभिन्न पूजा पंडालों में मां अम्बे की कलशस्थापन के साथ ही रविवार से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो गया। इस दौरान विभिन्न पूजा कमेटी के सदस्यों द्वारा क्षेत्र में स्थित नदी व तालाबों से कलश में जल लेकर पवित्र मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना कर उसे स्थापित किया गया। इस अवसर पर कई पूजा कमेटी की ओर से भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कई श्रद्धालुओं द्वारा अपने अपने घरों में कलश स्थापित कर माता की आराधना कर नवरात्रा प्रारम्भ की गई। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन माता के प्रथम रूप शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा-अर्चना की गई। पंडितों के अनुसार, दुर्गा मां पहले स्वरूप में  'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री भी कहा जाता है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्रि के प्रथम दिन योगी अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है। इनकी आराधना करने से मनुष्य के सर्वस्व मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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