गम्हरिया : विहिप के 59वें स्थापना दिवस पर गम्हरिया स्थित जगरधात्री मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन शुक्रवार को वृंदावन से आए आचार्य अनुपानन्द जी महाराज ने राजा परीक्षित जन्म और सुखदेव आगमन की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया था जिससे अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ। परीक्षित जब बड़े हुए तो उन्हें नाती पोतों से भरा पूरा परिवार था। उनका सुख वैभव से समृद्ध राज्य था। एक दिन वे क्रमिक मुनि से मिलने उनके आश्रम गए। उन्होंने जब आवाज लगाई तो तप में लीन होने के कारण मुनि ने कोई उत्तर नहीं दिया। तब राजा परीक्षित स्वयं का अपमान मानकर निकट मृत पड़े सर्प को क्रमिक मुनि के गले में डाल कर चले गए। अपने पिता के गले में मृत सर्प को देख मुनि के पुत्र ने श्राप दे दिया कि जिस किसी ने भी मेरे पिता के गले में मृत सर्प डाला हैउसकी मृत्यु सात दिनों के अंदर सांप के डसने से हो जाएगी। ऐसा ज्ञात होने पर राजा परीक्षित ने विद्वानों को अपने दरबार में बुलाया और उनसे राय मांगी। उस समय विद्वानों ने उन्हें सुखदेव का नाम सुझाया और इस प्रकार सुखदेव का आगमन हुआ। कथा श्रवण करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। इसके आयोजन में विहिप जिलाध्यक्ष राजू चौधरी, उमाकांत महतो, मिथिलेश महतो, भगवान सिंह, संजय चौधरी, अजय मिश्रा, शीतल प्रसाद समेत सभी सदस्यों की प्रमुख भूमिका रही।
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